सपनो में दिल की पुकार!
सपनो में दिल की पुकार!
कल रात सपना कुछ अनोखा था,
इतने सालों में न जाने कैसे "वो" आयी थीं,
इतने बरसों में जिसे भूला हुआ था,
सपने में आके, हलचल मचा गई थीं।
सुबह की चाय में, वो याद आयी,
नाश्ते के bread पकोड़े में उसकी खुशबू आयी,
आज तो आईने ने भी उसकी परछाई दिखाई,
दिल की धड़कन में भी आज, रफ्तार है आयी।
रोज़ की तरह, निकाल पड़ा था,
आज गाड़ी चलाते हुए भी, ध्यान कहीं और था,
दिमाग सोच नहीं पा रहा था,
इतने सालों बाद, सपने में गले लगाया था।
सोनिया, एक नाम -
जिसे लेने के लिए हर लड़का बेताब होता,
सोनिया, एक खूबसूरती -
जिसकी एक झलक पाने के लिए हर कोई तरसता,
सोनिया, एक बहारा -
जिसके आते ही, कलियां खिल जाती, मौसम बरसता,
सोनिया, एक प्रतिभा -
Professor हो या student, सभी का मन प्रसंशा से भर जाता।
उस समय मैं भी उसे पसंद करता था,
वो थी सबके दिल की धड़कन,
और मैं था एक साधारण सा इंसान,
वो थी हर विषय में अव्वल,
और मैं था एक average, ऊपर से डब्बा गोल,
चाह कर भी कभी उसके करीब ना जा सका,
दूर से ही उसे निहारता रहा।
उन दिनों, फ़ुटबाल का match था,
और मैं था college के team का goalkeeper,
वो दिन मेरी ज़िन्दगी का सबसे सुनहरा दिन था,
सारे penalty shots रोक दिए थे मैंने,
और मुझे hero बना दिया था college team ने,
कंधे पर उठा कर पूरा ground घूमाया,
Man of the match का खिताब भी जिताया,
उस दिन सोनिया भी उत्साहित थी,
दौड़ कर आके मुझसे लिपट गई थी,
उसने उत्साह ने ना लोग देखा ना मैदान,
बस खुशी का एहसास था, और दिल था नादान,
उस दिन के जीत ने शायद, सोनिया को भी जीत लिया,
मुलाकाते बढ़ गई थीं, उसकी दोस्ती मेरा प्यार बन गया।
मेरा मन था प्यार में, वो थी अब भी दिलों की मल्लिका,
हाले दिल का हाल कहीं, खिल्ली ना बन जाए,
यही सोच आढ़े आता था, डरावने सपने दिखता था,
रोज़ नज़रे मिलती थी, आंखे नटखट होती थी,
पर उसकी लोकप्रयता, अरमानों को कुचल जाता था।
फिर प्यार पर मिट्टी, बस Job और काम दिनचर्या बन गया।
आज करीब सात साल बाद, सोनिया सपने में आयी,
उसने आज वैसे ही गले लगाया था,
पता नहीं, कैसी है, कहां है आजकल,
दिमाग और दिल दोनों थे बेहाल,
गाड़ी पार्क करी और उतर कर फोन के contacts छानने लगा,
हाथ कांप रहे थे, माथे पर पसीना था,
उसके एक सहेली का नंबर मिला,
पता चला वो दिल्ली में है और एक नंबर share किया।
मैं ऑफिस में बैठा, उसके नंबर को निहार रहा था,
दिल बोल रहा था - call कर,
दिमाग रोक रहा था - क्या बोलेगा, इतने सालो में वो और famous होगी,
उंगलियों ने गलती से नंबर दबा दिए और एक ही रिंग में फोन pick हो गया था,
"आप blood donation करोगे? B ve है आपका group?"
"हां B ve है"
"Lifeline hospital, room number 116".
मेरी आंखें भर आई थी,
सोनिया operation theatre में थी,
और मैं बाहर वार्ड में उसके लिए blood donate कर रहा था,
उसके मां और पिताजी, परेशान से खड़े थे,
और मुझे हाथ जोड़कर धन्यवाद कर रहे थे,
पर मुझे तो शायद सोनिया ने ही आवाज़ दी थी,
शायद आज भी उसके दिल में, मेरे लिए जगह थी।
मैं वहीं खड़ा इंतजार करता रहा, सोनिया की एक झलक पाने का,
डॉक्टर ने कहा, वह खतरे से बाहर है, accident उसका काफी serious था,
रात को उसे होश आया,
उसने मुझे देखा और उसके आंसू थम नहीं रहे थे,
इस बार, मैंने उसे दौड़ कर गले से लगा लिया,
और उसका माथा चूम लिया,
"तुम कहां चले गए थे, इतने सालों तक ढूंढती रही तुम्हें,"
"फिर सहेली ने बताया कि तुम दिल्ली हो, तो तुमसे मिलने ही आयी थी और accident हो गया",
"लगा कि अब कभी नहीं मिल पायेंगे...
पर देखो, आज तुम्हरा खून मेरी रगों में आ गया"
उसकी मुस्कान, मेरी मुस्कान बन गई,
"I am sorry, सोनिया, मुझे तुमसे बोले बिना तुम्हारी ज़िन्दगी से नहीं जाना चाहिए था,
मुझे लगा तुम मुझे क्यों पसंद करोगी, में तो बहुत ही average था,
इतने सालों में अपने आप को बस काम में व्यस्त रखा,
तुम्हे भूलने की भी बहुत नाकाम कोशिश करी,
पर कल रात वाले सपने में तुमने फिर से मुझे वैसे ही गले लगाया था,
मेरे मरे हुए एहसास को जगाया था,
मेरे दीवानेपन को सहलाया था"।