STORYMIRROR

Meenakshi Kilawat

Romance

4  

Meenakshi Kilawat

Romance

सपना

सपना

1 min
199

तेरे ही सपनों में खोया तुझको

हर तरफ ढूँढता रहता हूँ,

तेरा साथ नहीं मिलता

शर्म से मैं खुद ही शरमा जाता हूँ।


हर समय तुझको सपनों में देखता 

आहें भरता मुस्कुराता हूँ,   

ना पड़ता प्रेम में तो अच्छा था

ऐसा मेरे दिल को कहता हूँ।


प्रिये मैं यहाँ तुम वहाँ ऐसे

कितने दिन चलेगा, 

सपने देखकर सपनों में ही

कितने दिन मन बहलाऊंगा।


याद करता हूँ तुम्हें तो मन को

बहुत अच्छा लगता हूँ,

भाव विभोर होकर

समुंदर में तनमन से डूबता हूँ।


आ जाओ तुम सामने मेरे

बहुत हो गया है बहाना,

ना आओ तो ऐसा करो तुम

बंद कर दो मेरे सपनों में आना जाना। 


सपनों में भी नहीं लगता

तुम ऐसा करोगी मेरे साथ में,

लगता है मैं ना रहा मेरा

अब तो तेरा ही हो गया हूँ। 


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi poem from Romance