Pratibha Bhatt

Inspirational

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Pratibha Bhatt

Inspirational

*सफ़र*

*सफ़र*

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उम्र भर ठहर जाऊं.. 

साथ तुम्हारे ?

अगर तुम चाहो ? 

लेकिन ! मैं तो बहती, 

नदी सी बनना चाहतीं हूं,

तिनका - तिनका,

 जो बहा कर ,

ले जाना चाहतीं हूं,

रोप देना है, मिट्टी में,

गहराइयों तक ,

उस दाने को,

जो संभावना है, 

भविष्य की,

क्या बहोगे ?

 मेरे साथ इस,

सफ़र में .......

दूर तलक ,

अनंत यात्रा की ओर,

बढ़ते कदम कहां रुकते है ?

मीठे पानी से ,

मुझे हज़ारों जड़ों को,

सींच कर जीवन देना है...

पता है !

अनंत समुंदर खारा है,

अंतिम सत्य पर ,

उसकी गहराइयों में भी,

अपनी पहचान का

रास्ता बरकरार रखना है।



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