स्पेशल बच्चों की माँ
स्पेशल बच्चों की माँ
दो बच्चों की माँ बन कर भी
माँ शब्द नहीं सुन पाई मैैं।
तो लगा अधूरी माँ हूँ मैं।
जब बच्चे रोते हैं, चिल्लाते हैं,
और हम उन की बात समझ नही पाते हैं।
तो लगा अधूरी माँ हूँ मैं।।
क्यों नही समझ पाती इनके अंतरमन को,
क्यों नहीं पढ़ पाती इनके चेहरे मैं?
तो लगा अधूरी माँ हुँ मैं।।
पर फिर इकबार उठती हूँ,
कुछ खुद समझती हुँ, कुछ बच्चों को समझाती हूँ।
जब दोनों समझ जाते हैं, तब लगता है
अधूरी सही पर अपने बच्चों की,
एक अच्छी माँ हूँ मैं।
