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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

सोलमेट

सोलमेट

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साथ हमारा बड़ा ही प्यारा,जीना तुम बिन नहीं गवारा

रह ना पाएं साथ-साथ गर, बना रहेगा पर संग हमारा


रिश्ते होएं सिर्फ खून के, ऐसा नहीं जरूरी है

समरसता चाहिए भावों की, निश्छल प्रेम जरूरी है

चाहे कितनी दूरी हो पर, सम व्यवहार जरूरी है

स्वार्थ भाव से मुक्त सर्वदा, रिश्ता वो सब जग से न्यारा

साथ हमारा बड़ा ही प्यारा।


रिश्ते वे जो बिन आकर्षण, परमार्थ में बन जाते हैं

स्वार्थ सिद्धि के लिए नहीं, वे तो सहयोग निभाते हैं

जहां भावों का पावन संगम, ये तब ही टिक पाते हैं

कोई शक संदेह नहीं हो, दृढ़ निश्चय विश्वास हमारा

साथ हमारा बड़ा ही प्यारा।


शुद्ध भाव नि:स्वार्थ भावना, ऐसे प्यार के मूल में है

सुन्दरता सुवास यह मधुतर,प्यारे से इस फूल में है

रहे अनछुआ स्वार्थ लोभ से, ये तो सारे भूल में है

प्रेम-भाव से अमर बने यह, प्राणों सम यह प्यारा है

साथ हमारा बड़ा ही प्यारा।


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