उफ़ ये दुनियादारी मिले न कभी पर संग चले अफ़वाह उड़े तब संदेह बढ़े अपने ही अस्तित्व को स्वीकार... उफ़ ये दुनियादारी मिले न कभी पर संग चले अफ़वाह उड़े तब संदेह बढ़े अपने ही...
लिखना वह तब भी इन्सानियत देखता था जब केवल जाति धर्म वर्ग देखा जाता था...... लिखना वह तब भी इन्सानियत देखता था जब केवल जाति धर्म वर्ग देखा जाता था......
प्रेम-भाव से अमर बने यह, प्राणों सम यह प्यारा है प्रेम-भाव से अमर बने यह, प्राणों सम यह प्यारा है
कि क्यूँ हुआ था मेरा गन्धर्व विवाह उस डूबते सूर्य से। कि क्यूँ हुआ था मेरा गन्धर्व विवाह उस डूबते सूर्य से।
अभी तक यह बेघर असहाय है, सामाजिक अव्यवस्था से पीड़ित और त्रस्त, अभी तक यह बेघर असहाय है, सामाजिक अव्यवस्था से पीड़ित और त्रस्त,
वो ज़रा दयालु सी लगी क्योंकि उनके तीव्र भौह मुझे किसी परवाह की लकीर लगती वो ज़रा दयालु सी लगी क्योंकि उनके तीव्र भौह मुझे किसी परवाह की लकीर लग...