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Akhtar Ali Shah

Drama

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Akhtar Ali Shah

Drama

सोलमेट

सोलमेट

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गीत

मैं अब तक ढूंढ रहा उसको,

******

मैं अब तक ढूंढ रहा उसको ,

जाने कब उसको पाउँगा।

जो सोल मेट है मेरा मैं,

कब उसको गले लगाऊंगा।।

*****

विश्वास यही है इश्वर ने,

मेरा भी कहीं बनाया है।

पर कौन है वो ढूंढ़ू कैसे,

दुविधा में मुझे फंसाया है।।

पहचान बता दी बस इतनी,

खुश हो जो मुझको खुश पाकर।

अपनी खुशियां दुगनी करले,

बढ़कर आगे, कर फैलाकर ।।

मिल गया अगर वो दुनिया को,

तज मैं उसका हो जाऊंगा।

जो सोल मेट है मेरा मैं ,

कब उसको गले लगाऊंगा।।

*******

कोई तन का कोई मन का,

साथी बन साथ निभाता है।

ये दुनिया है हर कोई यहाँ ,

मतलब को सदा भुनाता है।।

घर में ही मिल जाए कोई,

गर सोलमेट क्या कहने हैं।

दुनिया जो स्वर्ग बने घर से,

परहित के झरने बहने हैं ।।

हो जाए जिन्दगी सफल अगर,

जीवन उपवन मेहकाऊँगा।

जो सोल मेट है मेरा मैं,

कब उसको गले लगाऊंगा।

******

वह प्राणों का साथी मेरे ,

तन के बंधन से ऊपर है।

कुछ मोह नहीं तन का उसको,

वो सच्चा मेरा रेहबर है।।

सब रिश्तों नातों से उठकर ,

वो सच्चे प्यार की गागर है।

बंधु बांधव पत्नी बच्चे,

जनकों से गहरा सागर है।।

उसके बिन आधा मैं "अनंत",

कब पूरा हो इठलाऊँगा।

जो सोलमेट है मेरा मैं,

कब उसको गले लगाऊंगा।।

*****

अख्तर अली शाह "अनंत "नीमच


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