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Nalanda Satish

Romance

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Nalanda Satish

Romance

सोलमेट

सोलमेट

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सोलमेट हो तुम हमारे

निभाना जिंदगी भर हमारा साथ

सुख की छांव हो या 

हो दुख की परछाई


तारो की निकलेगी बारात

साथ तुम्हारा पाकर

चांद भी शरमाएगा

चांदनी का हाथ पाकर


रेत की चाहे जितनी भी फिसलन हो

जिंदगी रुकती नहीं

गर्म तवे की चाहे जितनी जलन हो

जिंदगी थमती नही


बादल आयेंगे यूंही उमड़ घुमड़ कर

बदरा भी बरसेगी भांग पीकर

सूरज की तपिश से झुलसेगी काया

रात भी डसेगी कभी नागण बनकर


तन्हाइयां छू मंतर हो जाती है

साथ तुम्हारा पाकर

खुशियां दस्तक देती है

चिकोटी तुम्हे काटकर


मरने के बाद किसने देखी जन्नत

साथ हो तुम तो जिंदगी हैं शबनम

लहरों पर हिचकोले खाती नाव हमारी

खेवनहार हो तुम्हारी रहमत


गैरत ए इश्क ने

हमे तुमसे मिलाया

जन्म जन्म का साथी

रूप में तुम्हारे हमने पाया


तुम्हारे रूप में पाया 

अनोखा हमसफ़र

साथ ना छोड़ना कभी

चाहे कितनी भी पथरीली हो डगर।


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