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Satyendra Gupta

Inspirational

4.0  

Satyendra Gupta

Inspirational

सोचो सोचो सोचो सोचना पड़ेगा।

सोचो सोचो सोचो सोचना पड़ेगा।

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ना जाने क्यों उम्मीद लगा बैठते हैं

ना जाने क्यों विश्वास लगा बैठते हैं

ना जाने क्यों दिल लगा बैठते हैं

ना जाने क्यों प्रेम लगा बैठते हैं

सोचो सोचो सोचो सोचना पड़ेगा

उम्मीदों से मुंह मोड़ना पड़ेगा

बिसवासो को नकारना पड़ेगा

अपने दिल को मनाना पड़ेगा

प्रेम को न्योक्षावर करना पड़ेगा


सोचो सोचो सोचो तुम्हे सोचना पड़ेगा।


जब उम्मीद लगाओगे तो दुख मिलेगा

बिस्वास करोगे तो विश्वाश घात मिलेगा

दिल लगाओगे तो आंसू मिलेगा

प्रेम करोगे तो रोना पड़ेगा

सोचो सोचो सोचो तुम्हे सोचना पड़ेगा।


आप चतुर हो चतुराई आती हैं आपको

होगा वही जो होना रहेगा

आप दिलवाले ही दिल लगाना आता हैं आपको

दिल टूट जाता हैं साहब टूटना पड़ेगा

उम्मीद किससे करोगे आप उम्मीद करना हैं आपको

सही समय पे आपकी उम्मीद को टूटना पड़ेगा

सोचो सोचो सोचो तुम्हे सोचना पड़ेगा।


एक

चीज बताता ही सांसारिक दुनिया का

अगर कुछ देने का न हो तो मांगना मत किसी से

पैसे वाले नही हो तो दिल लगाना मत किसी से

मजबूत खुद से न हो तो बिस्वास मत करना किसी से

ये दुनिया तभी देगी जब तुम्हारे पास भी कुछ होगा

वरना बिखर जाओगे कमजोर मत होना किसी से

सोचो सोचो सोचो तुम्हे सोचना पड़ेगा


उम्मीद करना आसान हैं कायम रह पाना उतना ही मुस्किल

बिस्वास करना आसान हैं बिस्वासी रह पाना उतना ही मुस्किल

प्रेम करना आसान हैं निभा पाना उतना ही मुश्किल

दिल जोड़ना आसान हैं भरोसा करना उतना ही मुस्किल पड़ेगा

सोचो सोचो सोचो तुम्हे सोचना पड़ेगा।


उम्मीद करके एक बार देख लो टूट जायेगा

बिस्वास करके एक बार देख लो बिखर जायेगा

दिल लगा कर एक बार देख लो चकनाचूर हो जायेगा

प्रेम करके एक बार देख लो कीमत चुकाना पड़ जायेगा

खुद बारीकी से समझो तुम्हे समझना पड़ेगा

सोचो सोचो सोचो तुम्हे समझना पड़ेगा।


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