सोच नई रिश्ते नये।
सोच नई रिश्ते नये।
वैसे मेरे पास एक सुझाव भी है दोस्तों,
जितने सारे सभी अनाथ बच्चे तन्हा है।
तन्हाई महसूस करते रहते जो सदा ही,
वो इन वृद्धों को गोद ले सकते खुद ही।
ये माता-पिता ही तो गोद ले सकते हो,
कुछ बच्चे भी तो स्वयं ले सकते है तो।
ज़रूरी नहीं माता-पिता ने है गोद लेना,
अनाथ हुए ये बच्चों को अधिकार देना।
तन्हाई दूर कर उन्हें फिर बच्चे मिलेंगे,
ये अनाथ बच्चे माता-पिता नये मिलेंगे।
सुनो दोस्तों रिश्ते भी नये-नये जो होगे,
अगर सोच भी सदा ही नई-नई होगी।
वृद्धाश्रम में भी बुजुर्ग बेघर हो रहते हैं,
संतानों के कारण सब घर से बेघर हुए।
कुछ बहुओं के कारण जो परेशान करें,
अपने सास-ससुर का जीना हराम करें।
शर्म नहीं आये ऐसी संतानों को भी तो,
घनघोर कलयुग में बहुत ज़्यादा ही तो।
दुआ करते हैं ईश्वर अल्लाह सभी से ये,
वृद्धाश्रम बंद करे दुआ करते सब से ये।
