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Diwa Shanker Saraswat

Tragedy Others

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Diwa Shanker Saraswat

Tragedy Others

सो रहा है

सो रहा है

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यह जो सो रहा है

अनेकों परिजनों से घिरा

रुदन की ध्वनि भी न सुनता

गूंज रही धरा

गूंज रहा आसमान

और यह सो रहा है


कभी जो मालिक था

कोठी और धन दौलत का

आज उसकी कोठी बट रही है

दौलत के टुकड़े हो रहे

और यह सो रहा है


यह बेशुमार दौलत

कब मिली आसानी से

दिन और रात मिटा दी

आज दौलत बट रही है

और यह सो रहा है


यह इसका खुद का घर

इसके खून पसीने से निर्मित

आज इसका घर बदल रहा है

श्मशान पहुंचाया जा रहा

और यह सो रहा है


परिजनों के रुदन में

कितने गुप्त हास्य

धन, दौलत और आजादी की चाह

आज पूरी होगी

और यह सो रहा है..



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