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Archana Tiwary

Abstract

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Archana Tiwary

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संवेदना

संवेदना

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तलाश कर रही हूँ

ज़माने से

नज़रें ढूंढती है

चहु दिशाओं में


चुटकी भर संवेदना

मशीनों संग

मशीन बने इन लोगों ने

बटोरी है चीज़ें

संजोए है साधन


पर रख न पाए वो चेहरे

जो यादों में धुंधली हो

मिटते जा रही है

कह न पाते उन अहसासों को


दबी दबी जो सिसकती है

बातों के लच्छे बना

चासनी में डुबो देते हैं

पर मिठास भी इनकी 

फीकी फीकी सी


लगती है क्यूंकि 

संवेदनाओं की चुटकी भर 

अहसास से परे जो होती है।


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