संवाद
संवाद
वह जो कभी
इतना मुखरित
होता था
आज अचानक
मौन हुआ।
क्यूँ बैठा है
समय से पहले
सो कर जो
उठ जाता था,
धूप तले तक
चादर ओढ़े
सोता है।
संवादों की
एक अजीब सी
दुनिया है
हंसी-खुशी,
दुख-सुख
तो बांटे
बंटते हैं
भावों के
संवादों में
सन्नाटा है।
होड़, होड़
फिर हैवानी होड़
कुछ पाने की
जिद में
कितना कुछ
खोना है।
पन्नों पर
कितनी भी
गणना कर लें
आदम से
आदम का
व्यवहार
बहुत सन्नाटा है।