संसार बदलाना होगा
संसार बदलाना होगा
रचनाकार सखी प्रतियोगिता -3
रामायाण पर्याप्त न पढ़ना, नहीं तो,
सचमुच उस साँचे में ढलना होगा
चले राम के पद चिन्हों पर यह
संसार बदलना होगा !
अनेक रुप हैं तारका
और सूर्पनखाओं के जो,
ऋषियों को सताया करती थीं
कितने ही काल,
नेम , बिन्दू (राक्षस )पर्वत पर छिप कर
ऋषि मुनियों को खाया करते थे
कितनी ही मंथराएँ यहाँ
पथ भ्रष्ट किया करती हैं
कितनी ही कैकयी
अपने पति का नाश किया करती है
कितनी सती सीताओं का
नित्य रोज हरण होता है
कितने ही भाई
रोड़ों में कुचले जाते हैं
सचमुच इन दुष्टों का
नाश करना होगा
अपने समाज को
अपने भारत को सौशल
बना कर चलना होगा
अपने यहाँ तो
विजयादशमी के दिन
कागज के रावण
जलाये जाते हैं
पर कुछ घर में
रावण पैदा हो जाते हैं
इसलिये -
रामायण पर्याप्त न पढ़ना
नहीं तो सचमुच
उस साँचे में ढलना होगा
चले राम के पद चिन्हों पर
यह संसार बदलना होगा।।