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Dr. Meera Tripathi Pandey

Tragedy

4  

Dr. Meera Tripathi Pandey

Tragedy

सन्नाटा

सन्नाटा

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कोरोना तेरे नाम ज़िन्दगी,

करते दिन- रात तेरी बंदगी ।


कोरोना से डर गए सब,

जीते जी ही मर गए सब ।


हादसों का कहर बड़ा है, 

पटरी पर ही देश खड़ा है ।


कोरोना का कोहराम हुआ है,

जीवन अल्पविराम हुआ है ।


शहरों में पसरा सन्नाटा,

गाँव में है जीने की आशा ।


आशा की परिभाषा में ही,

कुंद सारा ज्ञान हुआ है ।


राम- श्याम की इस धरती पर,

कोरोना का व्याख्यान हुआ है ।


भूख- प्यास से व्याकुल तन है,

लेकिन उन्हें तनिक न ग़म है ।


कोरोना में खो गए कितने,

धुल- धूसरित हो गए सपने ।


कहीं आम, कहीं ख़ास हुआ है,

कोरोना का वास हुआ है ।


कोरोना का मकड़ जाल है,

इससे सब मानव बेहाल है ।।



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