कजरी : सावन
कजरी : सावन

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सावन चढ़ल महीना बड़ा सुहावन रे हरी !
अरे रामा... ।
ऐ ही सावन महिनवा में, शिव भोले क पूजा रामा...
अरे रामा! बेल पत्र हम चडइबे, कजरी गैबे रे हरी...!
अरे रामा...!
ऐ ही महिनवा में नाग पंचमी आवै रामा...
दूध लावा, हम चडाइबे...
सांप जी के पूजब रे हरी...!
अरे रामा...!
ऐ ही महिनवा में कजरी क त्वहरवा रामा...
अरे रामा! ससुरे से आयिल तीजिया...
मनवा उल्हासित रे हरी...!
अरे रामा...!
सावन क सोमवार, व्रत रही संवार व्रत श्रृंगार है सब अहिवातीन रामा...
सोराहो सिंगार कर के शिव मंदिर जहिहैन रे हरी...!
अरे रामा...!
सावन चढ़ल महीना बड़ा सुहावन रे हरी !
अरे रामा... ।।