संघर्ष किस से है?
संघर्ष किस से है?
पहले ऐसा मानता था, हाँ पहले ऐसा मानता की संघर्ष बाहर है।
बाहर यानी बाजार में, मोहल्ले में, स्कूल में, कालेज में
लेकिन अब पता चला की संघर्ष सचमुच में, हाँ सचमुच में मेरे अंदर ही है।
जब मैं अपनी ही अंदर झांकता हूँ
मुझे ढेर सारी कमियां नजर आती है।
हर एक कमी मेरे सामने देखकर अट्टहास करती है
जैसे मुझे कह रही है, " अय बुद्धु मेरा सुधार कर"
जिसके पीछे मैं कई सालों से पड़ा था
जिसको पाने के लिए मुझे ढेर सारी दिक्कतें उठानी पड़ती थी
वो चीज अब सचमुच में पाना आसान हो रहा है
हालांकि इसके लिए मुझे 'समयकुमार ' को वफादार रहना पड़ता है और तब जाके बात बनती है।
हे समयकुमार मैं अत्यंत विनम्रता से तुम्हारे चरण स्पर्श करता हूँ ।