पानी ही पानी, कोई ओर, कोई छोर नहीं, पानी ही पानी, कोई ओर, कोई छोर नहीं,
दम जरा धारा के विपरीत दम जरा ज्यादा भरना! दम जरा धारा के विपरीत दम जरा ज्यादा भरना!
जोर जो इतना रहा वजूद का, राख में मिलना क्या वजूद का, जोर जो इतना रहा वजूद का, राख में मिलना क्या वजूद का,
भीख मांगते ही जीए फिर मृत्यु पर विजय का अट्टहास क्यों भीख मांगते ही जीए फिर मृत्यु पर विजय का अट्टहास क्यों
लेकिन अब पता चला की संघर्ष सचमुच में, हाँ सचमुच में मेरे अंदर ही है लेकिन अब पता चला की संघर्ष सचमुच में, हाँ सचमुच में मेरे अंदर ही है
आंधी ने उड़ते-उड़ते कहा देखो पक्षीराज तुम्हारा खेल खत्म हुआ। आंधी ने उड़ते-उड़ते कहा देखो पक्षीराज तुम्हारा खेल खत्म हुआ।