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Amit Chauhan

Abstract

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Amit Chauhan

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आकाश दर्शन

आकाश दर्शन

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रात को चारपाई पर लेटे लेटे मैंने देखा की दूर गगन में एक प्रकाशित चीज बहुत तेजी से आगे बढ रही थी

एक दफा मुझे लगा की हवाई जहाज जा रहा है

मुझे बचपन के वो दिन याद आ गये जब मैं रात के समय मेरी माँ को आकाश की ओर देखने को कहता था

ताकि वो भी आसमान में उडते हवाई जहाज को देख सकें 

हालांकि अभी मैने जो प्रकाशित चीज देखीं वो हवाई जहाज नहीं था

बल्कि एक प्रकाशित तारा था की जो कुछ क्षणों तक मुझे दिखाई दिया 

बाद में वो मेरी नजरों से ओझल हो गया

वो शायद मुझे यह कहने आया होगा की कुछ रिश्ते ओझल होने के लिए ही बने होते हैं। 


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