दाढी का प्रभाव
दाढी का प्रभाव
कुछ दिनो से बाहर निकलने से
नये नये नाम मिलने लगे हैं
और मैं कितना खुशकिस्मत हूँ
नये नये खयाल मिलने लगे हैं
बाहरी रूप देखकर मेरा, सबलोग
तरह-तरह के नाम मुझे देने लगे हैं
एक दिन की बात, सरकारी दफ्तर में
कुछ कार्य हेतु गया
वहां पर एक परिचित व्यक्ति से भेंट हुइ
मुझे देखते ही बोल उठे," अरे! तू सरदारजी बन गया! "
किसी ने मेरी तुलना 'केजीएफ 'के साथ की
गाँव के दही बेचनेवाले एक युवाने मुझे बाबा रामदेव
बना दिया
किसी ने मुझे कबीर सिंह कहकर भी पुकारा
एक जन को तो शायद ; मेरे खयाल से दाढीवाले सेलीब्रिटी का कोइ परिचय ही नहीं होगा
की मुझे देखते ही बोला, " श्रावण माह क्या है?
भक्ति में ज्यादा रूचि रखनेवाले एक ईसाई युवा ने कहा, "येसु बनने का है! "
सबने अपने अपने नजरिये को पेश किया
इससे प्रतीत होता है की मीडिया का प्रभाव लोगो के मन पर सबसे ज्यादा है
टीवी, इन्टरनेट और अन्य कइ ऐसे माध्यम है जिसके जरिये लोग ह ररोज अपने आप को अपडेट करते हैं
किन्तु उपयुक्त अभिव्यक्ति तो सहज है
एसा कब होगा जब एक इन्सान दूसरे इन्सान के अंदरूनी दुनिया को भी जानेगा, पहचानेगा !
आवश्यकता…. हाँ , हाँ , आवश्यकता खड़ी हुइ है कि
अब अंदरूनी दुनिया को देखने की कला भी सीखी जाएँ।
