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Shalini Tripathi

Abstract

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Shalini Tripathi

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ख़ुद की सोच

ख़ुद की सोच

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ज़िंदगी आनी जानी है

 क्यों सोच रहा हैं तू क्या लोग कहेंगे 

 तो सही तो भी लोग कहेंगे  

 तू गलत हैं तबभी लोग कहेंगे 

 

ज़िंदगी वही जीता हैं जो जीता हैं खुद से 

आज हम परेशान है की हमारे पास कुछ नहीं

आज हम परेशान हैं  हमारे पास घर नहीं 

आज हमको अपने लिए हे समय नहीं 


आज जो भी हम कर रहे हैं लोगो के लिए कर रहे 

ऐ मालिक क्या तेरा हैं क्या मेरा तू जी खुद के लिए 

क्यों सोच रहा हैं जिंगदी में लोग क्या कहेंगे 

तू मान ले तू खुश रहेगा बहुत जब सोचेगा खुद के लिए 


आज तू हैं इस दुनिया में तब लोग तुझे पूछ रहे हैं '

कल चल जायेगा इस दुनिया से तो पता नहीं कोन पूछेगा 

जब तक हैं तू इस दुनिया में फसा हैं इस चक्रव्यू में 


ज़िंदगी में कुछ सोचना हैं तो ये

सोच मालिक कर ऐसा काम 

मरने के बाद रोए तुझ पर हँसने वाले।


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