माँ
माँ
एक माँ ख़ुद तो जैसे तैसे
अपनी ज़िंदगी जी लेती है..
लेकिन जब अपने बच्चे पर
आती है
तब वो अपनी ज़िंदगी जीने
लगती है अपने बच्चे के लिए।
अपने हर ख़ुशी को छोड़कर
ख़ुश रखती है अपने बच्चे के लिए
मैंने देखा था अपने माँ को
ऐसा करते हमलोग के लिए
सोचते हुए।
उसका समय बड़ा आसान
लगता था माँ का ऐसा करता देख कर।
मुझे महसूस हुआ तब
जब ख़ुद माँ बनकर।
आज जबसे मैं माँ बनी मैने जिया
एक एक मिनट अपने बच्चे के लिए......
