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Shalini Tripathi

Abstract

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Shalini Tripathi

Abstract

मैं ग़लत नहीं

मैं ग़लत नहीं

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मुझे पता हैं में ग़लत नहीं

लोगों के बारे में सोचते सोचते 

में क्या से क्या हो गयी।


सबकी सोच में बदल नहीं सकती

लेकिन ख़ुद को ज़रूर बदल सकती।

मैं क्यूँ सोचूँ उन लोगों के किए जिन लोगों ने

मेरे लिए कभी सोचा नहीं।


ज़िंदगी के बहुत से दुःख के पल में ज़रूरत पड़ी

अपनों की लेकिन कोई कभी दिखा ही नहीं।

ग़लतियाँ निकालने में में कोई

कभी पीछे गया नहीं।


जब में हर पल अकेले ही हूँ

तो मैं क्यूँ सोचूँ अपने के लिए।

मुझे इतना पता हैं मैं ठीक हूँ

तब लोग पूछ भी लेते हैं।


वरना किसी के पास समय

नहीं मुझे पूछने के लिए।

अगर मुझे जीना है, ख़ुश रहना है

तो जीना पड़ेगा मुझे ख़ुद के लिए।


मुझे इतना पता है मैं ग़लत नहीं।


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