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Shalini Tripathi

Abstract

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Shalini Tripathi

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अपना पराया

अपना पराया

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कभी कभी मैंने देखा कोई होता नहीं अपना

और लोग बोलते हैं अपना हैं या पराया

अपना पराया कुछ नहीं होता हैं

जो आपके भावनाओं को समझ सके अपना

जो ना समझ सके वो पराया

जो आपके दुःख में खड़ा है अपना

जो आपके दुख में नहीं खड़ा वो पराया

लोग बोलते हैं ख़ून का रिश्ता होता है अपना

और में बोलती हूँ जो आपके दुःख में खड़ा वो है अपना..,,,,।


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