बचपन
बचपन
बचपन कितना अजीब था....
खुश हो जाते थे थोड़े ही पैसे मे
सुबह उठाना फिर स्कूल जाना
स्कूल जाकर दोस्तों से मिलना
फिर पढ़ते पढ़ते लंच का वेट करना
लंच मे अपने अपने टिफ़िन को
शेयर करना
फिर छुट्टी के वेट करते हुए झुट्टी की
बेल बज जाना
स्कूल की गेट पर मम्मी के दिए
कुछ पैसे खर्च करना
बचपन कितना अजीब था....
घर आकर मम्मी क्या बना है
बोल कर खाना खाना
फिर दोस्तों के साथ खेलना
फिर शाम को पढ़ना
ना कोई टेंशन ना कुछ सोचना
बस पढ़ना और सो जाना
बचपन कितना अजीब था...
हर त्यौहार बड़ा ही अच्छा लगता था
नए कपड़े फिर त्यौहार का आनंद लेना
कितना अच्छा लगता था वो बचपन के दिन
हर छोटे छोटे गिफ्ट पर खुश हो जाना
बचपन कितना अजीब था...
दादा दादी का प्यार उनका साथ
सब लोगों के साथ मेे रहना
उनलोगो के साथ जाड़े के दिन
आग जला कर बैठना
दादा से अपने दिल की बात बताना
फिर सारे अपना हर बात मनवा कर
अपना काम करना
जीतना भी लिखू अपने बचपन की यादें
उतना कम हैं
बचपन भी कितना अजीब था.....