कारगिल दिवस
कारगिल दिवस
आँखों मेे चमक और सीने मेे ज़ुनून रखते है।
आप हो तो हम हैं अपने अपने घरों मेे चैन से
आप तपते रहते है धूप मेे हमको देने के लिए छांव
आप के लिए जितना भी बोला जाए कम हैं
जिसने अपनी जान को अपनी माँ की चरणों मेे दे दिया।
अपने वतन के लिए कुछ किया ही नहीं तो जिया क्या ।
जिसके लिए कुर्बान हैं सब कुछ वो वतन हैं मेरा।
मिलते नहीं जो हक वो लिए जाते हैं,
हैं आज़ाद हम पर गुलाम किये जाते हैं
उन सिपाहियों को रात-दिन नमन करो,
मौत के साए में जो जिए जाते हैं।
जिसके के लिए नोटों के कफ़न की कोई वजूद नहीं
जिसके लिए तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता।
