संदेश
संदेश
ये धड़कनें गर रुक गईं एक बार ,
तो सोचो क्या होगा ?
ना हम कभी संदेश में होंगे ,
ना तुम्हारा संदेश बजा होगा।
तुम राह तकोगे तब मेरी ,
संदेश से खबर आने की ,
मैं अंतिम पल खबर दे ना सकूँगी ,
अपने बिखर जाने की।
ये लुका - छुपी का खेल अपना ,
तब बड़ा महंगा होगा ,
जब चोरी से दो धड़कते दिलों के ,
राज का पर्दाफाश होगा।
मैं पल - पल ये दुआ मनाती ,
हम दोनो का इश्क यूँ ही जवां रहे ,
ना मिलने का कोई गम नहीं ,
पर बिछड़ने की ना सज़ा मिले।
इसलिये इन संदेशों के ज़रिये ,
कभी थोड़ा मुस्कुराया करो ,
क्या पता कब ये पल छिन जायें ,
इनपर अपना अधिकार जमाया करो।