संबंधों की माला
संबंधों की माला
ज़िन्दगी में कच्चे धागों से बंधे मज़बूत सम्बन्ध
तो कभी मजबूत धागों से बंधे कच्चे सम्बन्ध
बन कर फल कभी थोड़े कच्चे तो कभी थोड़े पक्के
लटकते अधटूटी टहनियों से दिखावी सम्बन्ध
कभी जज्बाती तो कभी बनावटी कभी दिल के तो
कभी मन के कभी धन के तो कभी तन के कभी करवटों में
बदलते पुराने सम्बन्ध कभी राहों में कभी मंजिल पर
कभी भीड़ में कभी तनहा दरख्तों पर बादलों जैसे
उमड़ते घुमड़ते अपनी मर्जी से बरसते सम्बन्ध
कभी धूप तो कभी छांव कभी मजबूत इरादे
तो कभी कांपते पाँव कभी मर्मस्पर्शी छुवन तो
कभी दिमागों के ख्यालों पर कभी जाने पहचाने तो कभी
अनजाने घाव कभी पिघलते रिश्तों की गर्मी में
खुद सम्बन्ध कभी मलहम तो कभी दवा कभी दुआ
तो कभी नमाज़ों में शामिल सम्बन्ध वो सम्बन्ध तो ज़िंदगी से
बन गए हैं वो ज़िंदगी जो सम्बन्ध में बदल गए हैं
वो सम्बन्ध जो गुड़ की मिठास से हो गए हैं
वो सम्बन्ध जो मिर्च की कड़वाहट से हो गए हैं
वो सब सम्बन्धों को ज़िंदगी का सुकराना है
कैसे भी हो सम्बन्ध ज़िंदगी का साथ तो निभाना है।