समय
समय
वो समय था जो निकल गया
घोर कोहरा जैसे छट गया
तेरे हाथो मे हाथ रखकर समंदर भी पार कर लिया,
तेरे घर को सजाने मे जीवन सब निकाल दिया
वो समय था जो निकल गया
मै भी सपनो मे सोइ सी ,न जाने कहां खोइ सी
जब आँख खुली तो याद आया
इस दुनिया मे मै अकेली थी
न तू दिखा न तेरा घर
अकेली इस संसार से लड़ी मैं
वो समय था जो निकल गया
तेरी यादो के जो सांप बचे थे
रह रह कर अब डस रहे थे
अब कोइ साथ नहीं था मेरे
मै थी और मेरी तनहाई थी
अब जाकर ये याद आया
वो समय था जो निकल गया
मेरा बचा हुआ जीवन भी संवर गया!
