Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Gopal Agrawal

Abstract

4  

Gopal Agrawal

Abstract

समय को पकड़ो

समय को पकड़ो

1 min
245


एक परेशान पिता ने अपने

आलसी व बेरोजगार बेटे से

नाराज होकर कहा कि

बेटा, तुझ से तो यह घड़ी ही अच्छी है


करती रहती है, समय पर अपना काम ,

एक तू है जो, दिन भर करता है आराम

बेटा यह घड़ी बहुत कुछ बताती है

समय समय पर कई बाते सिखलाती है,


कांटा घूमते हुए फिर से वहीं आता है,

यानि, समय दिन का रात हो जाता है

एक तू है जो दिन भर मोबाईल से समय पास करता है

उधर अपना परिवार है, वो तुझसे बहुत आस करता है,


जो बीतता जा रहा है उसे हम पकड़ नहीं पाएगें,

हिम्मत हारने के बाद तुम और हम जी नहीं पाएगें,

उठो अभी सुबह-सुबह पक्षियों की तरह उड़ो,

जमाने में बहुत से काम है उनसे जाकर जुड़ो


जब तुम काम से थक हारे अपने घर लौट कर आओगें

चांदनी रात घड़ी की टिक टिक से बहुत आराम पाओगें।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract