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Sunita Shukla

Abstract Inspirational

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Sunita Shukla

Abstract Inspirational

समय की धार

समय की धार

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रोके नहीं रुकी किसी से कभी समय की धार

माना जिसने जीत गया वो, वरना होती हार।

समय का पहिया अपनी गति से ही चलता जाता

इंसान भले ही चाहे कितनी है जुगत लगाता ।।


बदल दें वक्त, इतनी हिम्मत होनी चाहिये

या फिर खुद को वक्त के साथ बदलना आना चाहिए ।

छाये हुये हैं क्यों उदासी के घनघोर साये

वक्त ही तो है ये भी गुजर जायेगा ।।


हार जाते हैं वो जो वक्त के आगे टेक देते हैं घुटने

मंजिल मिलती है सिर्फ उनको जो बहाने नहीं बनाते हैं।

आगे वही बढ़ पायेगा जो जीवन के उसूल न

िभाएगा

बाजी होगी उसी की जो वक्त को मुट्ठी में कर पायेगा।


वक्त की हरदम कदर करें

पलछिन भी न व्यर्थ करें।

होंगे समय से पूरे काम

जग में भी होगा सम्मान।


माना कि मुश्किल बहुत बड़ी है

आई इम्तिहानों की घड़ी है।

छोड़ें न कभी उम्मीद का दामन

खुशियाँ होंगी फिर घर-आँगन।


रखें भरोसा हर वक्त बदलता है

बुरा है तो क्या फिर अच्छा भी आता है ।

थक हार कर न बैठना, समय के साथ है चलना

मंजिल भी मिलेगी और खुशियों के

अनगिनत का उपहार दे जायेगा।


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