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PRATAP CHAUHAN

Romance

4  

PRATAP CHAUHAN

Romance

समुंदर किनारा

समुंदर किनारा

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 संगीत सुनाती समुंदर की लहरें,

 महफिल सजाता समुंदर किनारा।

 हवाओं के झोंके रोके ना रुकते,

 लहराता बजरी में बेसुध शरारा।।


 समुंदर की ठंडक इन गर्मियों में,

 तरो ताजगी की मरहम बनी है।

 हसीनों का साया सागर किनारे,

 गुजरता है जैसे घटा एक चली है।।


चले आ रहे हैं आवारा पंछी,

सागर किनारे महफिल सजाने।

लहरों से वो खेलते हैं और,

सुनाते हैं उनको अपने तराने।


बनकर बैठा है शायर सा वो भी,

कहीं ताल में है उसका ठिकाना।

मछलियों का साथी सुरा सीप,

बेफिक्र होकर सुनाता है गाना।।


अरे  देखो  यह  दिन  भी

कितना हसीं  हो  रहा है।

ताजा हुआ दिल ये और,

मन मेरा मगन हो रहा है।।


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