सम्मान
सम्मान
करगिल विजय दिवस पर वीर शहीदों की शान में कुछ पंक्तियाँ लिखी थीं।
प्रस्तुत हैं:-----
उत्तुंग शिखर की आड़ लिए
शत्रु ने छद्म प्रहार किए
ले फ़ौलादी सीने
वे डटे
तृण भर भी सीमा से न हटे
करगिल से खदेड़ दिए गीदड़
एक-एक भारी पड़ा सौ पर
न सोचा वृद्ध माता पिता का
बिसरा कर स्मृति प्रियतमा की
संतानों से बन निर्मोही
माँ भारती को किया निज तन अर्पित
कोटिशः धन्य
वह शौर्य वह अदम्य पराक्रम
वह प्राणोत्सर्ग
उनकी सौगात से भारत है स्वर्ग
यदि त्याग उनका
मानते हो महान
मिले महावीरांगनाओं को यथोचित मान।