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समझ नहीं आता क्या है सच एक

समझ नहीं आता क्या है सच एक

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किताबें बहुत सी पढ़ कर,

और सुन फिलॉसफी एक से एक।

क्नफ्युज हुआ मैं अब,

समझ नहीं आता क्या है सच एक।


प्रजेन्ट में रहूँ या फिर,

करुँ कुछ मैं फ्युचर प्लानिंग।

कर्म से भाग्य बनाऊं,

या फिर भाग्य करे मेरी प्लानिंग।


फटाफट काम करे,

या फिर सब्र से सोच समझ कर।

या फिर माने दास मलूका की,

और रहें चुपचाप जैसे पंछी और अजगर।


कहानियाँ जब सुनी वीरों की,

तब जोश आया और निकला पराक्रम करने।

दोहे संतों की सुनी जो,

बन्धन में ना पड़ जाऊं, यह सोच, मन लगा डरने।


बातें तरह तरह की सुन,

और सुन कर कहानियाँ अनेक।

क्नफ्युज हुआ मैं अब,

समझ नहीं आता क्या है सच एक।


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