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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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समीक्षा विकास की

समीक्षा विकास की

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हर जन उन्नति करना चाहता और,

सब सरकारें भी करतीं सतत् प्रयास।

समय का पहिया द्रुतगति भागे,

पर न हो पाता है अपेक्षित विकास।


अपेक्षाएं होती बड़ी - बड़ी हैं,

पर संभवतः न हो पाते उनके अनुरूप प्रयास।

कुछ अनुमान गलत हो जाते

कुछ वास्तविकता से ज्यादा दिखने की आस।


सच्चाई को कर अनदेखा - श्रेष्ठ दिखाने के क्रम में,दिखाते खुद को सब हैं खास।

समय का पहिया द्रुतगति भागे,

पर न हो पाता है अपेक्षित विकास।


भांति-भांति के विविध प्रलोभन,

दाल को काला करते रहते हैं।

कर्त्तव्यों को दे देते हैं तिलांजलि

अनैतिकता को बढ़ने देते हैं।


स्वार्थ भाव की आंधी में,

भुला कर्त्तव्य कसम को देते हैं ख़ास।

समय का पहिया द्रुतगति भागे,

पर न हो पाता है अपेक्षित विकास।


अपने से ऊंचे हैं जो अधिकारी

जांच-नियन्त्रण है जिनके पास।

लिप्त अनैतिक - हित साधन में,

मिल-जुल करते घोटाले खास।


ऐसा ताना-बाना बुनते सब मिल,

होती दफन विकास की आस।

समय का पहिया द्रुतगति भागे,

पर न हो पाता है अपेक्षित विकास।


दाॅ॑व-पेंच लूट और बचने के विविध तरीके,

जब रक्षक खुद ही बताते हैं।

मुझे खिलाओ-तुम भी खाओ,

चापलूसी का पाठ पढ़ते और पढ़ाते हैं।


बेईमान मलाई खाते-खिलाते,

ईमानदार रगड़े जाते और दिए जाते हैं फाॅ॑स।

समय का पहिया द्रुतगति भागे,

पर न हो पाता है अपेक्षित विकास।


बड़ी सुहानी मीठी बातें

करते न थकते हैं दिन और रात।

प्रस्तुत नीति इस तरह करते

शब्द जाल संग होती है बात।


निश्चेतक सा असर शब्दों का,

फिर बचती न कोई चेतना खास।

समय का पहिया द्रुतगति भागे,

पर न हो पाता है अपेक्षित विकास।


साक्षर नहीं बनें सब शिक्षित,

जानें अपने हम सब ही अधिकार।

सब पूरे करें कर्त्तव्य भी हम अपने,

करें अपने सब सपने साकार।


शातिर चालों को हम समझें,

सफल न होने पाएं दुष्टों के प्रयास।

समय का पहिया द्रुतगति भागे,

पर न हो पाता है अपेक्षित विकास।


होगी तब हर जन की उन्नति,

अपना भारत तो बनेगा खास।

विश्वगुरु का फिर मिलेगा गौरव,

ऐसा अटल अपना विश्वास।


खैरात से नहीं -हम स्वेद बहाकर,

होंगे सफल हम सबके प्रयास।

समय के पहिए के संग गति पाकर,

करेंगे बहु आयामी विकास।


होंगीं खुशियां हर आंगन में,

और होगा हर चेहरे पर उल्लास।


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