सलाम शहादत
सलाम शहादत
क्यों धरती कांपी
आसमां ने अश्क़ बहाया
ये खता किया है किसने
किसने इतना खून फैलाया।
तू कायर सामने से
कभी भी लड़ नहीं पाया
धोखे से घेर कर
वीरों को मार गिराया।
कहता है वीर अपने को
पर कायरता दिखलाया है
तुझे सजा मिलेगी गिन 2 कर
वतन को बहुत रुलाया है।
वतन के दीवानों को
मरना जीना आता है
जिस पथ से गुजरते दीवाने
वहाँ तूफा भी थम जाता है।
जमी आसमान वीरों की शहादत
को सलाम करते है
चंदन ये नगमा हम उनके
नाम करते हैं।
