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Ruchika Nath

Classics Inspirational

2.5  

Ruchika Nath

Classics Inspirational

सलाम ऐ ज़िन्दगी

सलाम ऐ ज़िन्दगी

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ज़िन्दगी! काश मैं, तेरी रूह को समझ पाती

तेरी ख़ामियों के संग ही, तुझे अपना पाती ॥

अपने गुनाहों के अक्स को, तेरे पीछे छुपाती

पहले अपने हर दर्द की वजह, मैं तुझको बताती ॥

मेरी आँखों में जब भी नमी आती

ख्वाबों से प्यार कर, तुझे गुस्सा दिखाती ॥

पहले अपनी हर एक कमी छुपाने को तेरी ख़ामियाँ दुनिया को बतलाती

तूने मुझे एक दुनिया दी, उस दुनिया में एक पहचान

ए ज़िन्दगी तेरे हर आगाज़ को, आज मैं अपना इम्तिहान मानती हूँ

तू हारी नहीं, तू हार सकती नहीं

न मानूँगी में भी कभी हार फिर चाहे भोर हो या साँझ

ए ज़िन्दगी तुझे दिल से अपनाने का, अब में बयां करती हूँ

ज़िन्दगी आज मैं तुझे दिल से सलाम करती हूँ।


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