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ज्योति किरण

Classics

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ज्योति किरण

Classics

स्कूल के दिन

स्कूल के दिन

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मासूमियत से भरा बचपन कितने पाठ पढ़ाता था

जब स्कूल का कोई दोस्त बेहिचक हमें सिखाता था।


टूटी-फूटी बैंचों पर भी हम सारे मिलकर बैठते थे

और जब भी कोई बात न करे, हक से कान ऐंठते थे।


खाने की छुट्टी में सारे मिलकर खाना खाते थे

कोई न देखे जाति-धर्म, हम मिलकर पर्व मनाते थे।


खेल-खेल में इक दूजे को बड़ा सताया करते थे

कभी-कभी इक-दूजे ख़ातिर मार भी खाया करते थे।


कितना प्यारा वक्त था वो और दोस्त भी कितने प्यारे थे

गर्व से अब भी कहते हैं वो बचपन के दिन न्यारे थे।


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