स्कूल का प्यार
स्कूल का प्यार
स्कूल का वो पहला प्यार
आज चौक गलियारे में मिला
जैसे पतझड़ में बिछड़ा फूल
तो फिर बहारों में मिला
कभी करता था शरारत
कागज ऐ चिट्ठी तले
वो बचपन का प्यार
आज हिजाबों में मिला
देखा उसे मैंने भी गौर से
डिग्री कर चुका है अब
जब मिला तो उसी
"अंदाज़ ऐ पाठशाला" में मिला
थोड़ा बड़ा हो गया है
समझदार भी,
आँखों में हया भी
मुझें तककलुफ न हो जाये
इसलिये तशखीस ऐ शरारत में मिला
कभी टपकती थी उसकी
नाक से रोग़न ऐ तरल
ज़नाब अब का मिला तो
बड़ा नवाबों में मिला
कभी देता था बोगनविलिया
गुलशन ऐ फूल कहकर
एक अरसा की हिज्र के बाद
वो सूखा गुलाब मुझे
किताबों में मिला।