सिर्फ तू
सिर्फ तू
तेरी दो निगाहें ज्यों दो जलते दीपक
होंठ चांदी की थाली में लगा तिलक।
पदचाप में तेरी आती है खनक,
गुजरो जो पास से है संदल की महक।
बोलती तो जैसे घंटियाँ बजे,
तू इन्सां है या देवी, होता है अब तो शक।
तेरी दो निगाहें ज्यों दो जलते दीपक
होंठ चांदी की थाली में लगा तिलक।
पदचाप में तेरी आती है खनक,
गुजरो जो पास से है संदल की महक।
बोलती तो जैसे घंटियाँ बजे,
तू इन्सां है या देवी, होता है अब तो शक।