सीता जी का बनवास
सीता जी का बनवास
मेरी मैया का अपराध बता दो,
फिर वन में भिजवाना।
फिर वन में भिजवाना,
अपना राजा धर्म निभाना।।
गलती नहीं कुछ भी माता की,
क्यों गुनाहगार ठहराना।
मेरी मैया...
हालत ऐंसी मेरी मां की,
तरस जरा तुम खाना।
मेरी मैया...
काम ना ऐंसे करना प्रभु तुम,
पाछे पड़े पछताना
मेरी मैया...
विनती प्रभु आपसे इतनी,
दया धर्म निभाना।
मेरी मैया...