श्यामा (part-3)
श्यामा (part-3)
एक श्यामा,
काली है,
कुबडी है,
दो पैरों से,
रेंगती,
दर्शन करने चली,
एक नवयुवक,
अपनी मस्ती में,
दर्शन करने चला,
श्यामा को देखा,
दया,
मदद के लिए आया,
अपने हाथ का सहारा,
श्यामा से बोला,
दर्शन करने जा रहा,
मदद क्या करूं तेरी?
यह सुनकर बोली,
श्यामा,
ना मदद करता कोई,
हुँ मैं कुबडी,
मन्नत मैंने मानी,
मां का दर्शन करने आई,
पर,
चल नहीं सकती,
दो पैरों से अपाहिज,
एक हाथ भी,
काम नहीं करता,
मेरी मदद कर युवान,
करे भला माता दी,
तेरा...
यह सुनकर युवान बोला,
मेरी मां ने मुझे बताया,
अपंग और अनाथ की,
मदद करना,
मैं भी आया दर्शन करने,
अपनी मां की मन्नत,
पुरी करने,
क्या खाना खायेगी?
भूख से व्याकुल दिखती,
श्यामा बोली,
लगी है भूख,
पर,
दर्शन करके खाऊंगी,
व्रत है मेरा,
युवान, अब आधार है तेरा,
करे माता तेरा भला...
(part-3 में श्यामा को युवक दर्शन करने ले जायेगा। वहां क्या होगा?..कौन है श्यामा? जानने के लिए पढ़िए " श्यामा " काव्य शैली में एक कहानी।)
