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Ramashankar Yadav

Tragedy Classics

4  

Ramashankar Yadav

Tragedy Classics

शुक्र तुम्हारा

शुक्र तुम्हारा

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शुक्र तुम्हारा मेरे दिलबर, तुमने मुझे आजाद किया

खत्म कहानी अपनी दिलबर, तुमने मुझे आजाद किया!

शुक्र तुम्हारा मेरे दिलबर, तुमने मुझे आजाद किया!


कच्ची डोर मुहब्बत साथी, कदर नहीं की टूट गई

नई उमंगे पाकर दिलबर, तुमने मुझे आजाद किया

शुक्र तुम्हारा मेरे दिलबर, तुमने मुझे आजाद किया!


बड़ी कसक है बड़ी तड़प है झुठा भरम पर रहा नहीं

जो है अब यही सच है दिलबर, तुमने मुझे आजाद किया

शुक्र तुम्हारा मेरे दिलबर, तुमने मुझे आजाद किया!


आँखें तुम्हारी तुमसे लड़ेगीं रोवोगे कुछ कह ना सकोगे

सोचके पछताओगे दिलबर, तुमने मुझे आजाद किया

शुक्र तुम्हारा मेरे दिलबर, तुमने मुझे आजाद किया!



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