शुभ धन संचय
शुभ धन संचय
छोटे-छोटे कदमों से नियमित चलने वाले,
पाते हैं मंजिल निश्चित-कुछ बात न डर की।
धर धीर -अनुशासित -दृढ़ संकल्प शक्ति वाले,
सफल होते हर हाल-कोई जरूरत न फिकर की।
बड़ा विचित्र है विविधताओं से भरा हुआ ये सारा संसार,
कुछ हम अर्जित करते हैं-कुछ विरासत से आते संस्कार।
कमाना-खर्चना-बचाना व उड़ाना-है सबका निजी विचार,
बचाया धन कमाए धन सा -बुरे वक्त में होता है मददगार।
छोटी-छोटी सतत् की गई बचत -बन जाती है बड़ी सी एक राशि,
मितव्ययिता का सद्-संस्कार और विवेक-है सद्गुण अति खास।
बूंद -बूंद से भर जाता है घट , कुछ न हो विशेष हमको अहसास,
संग्रह कर छोटी सीखों से, भंडार हो ज्ञान हित करें सतत् अभ्यास।
संग्रह भौतिक राशि का होता है ,एक न एक दिन हर हालत में नाश,
सद्गुण और संस्कार करते हैं सहयोग-और काट देते हैं यम का पाश।
सद्गुण संग्रह अनवरत हम सब -निज मन में रखकर पूरा दृढ़ विश्वास,
आजीवन करते हम संचय रहें, तो सुखमय जीवन रहे आए गम न पास।