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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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शुभ धन संचय

शुभ धन संचय

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छोटे-छोटे कदमों से नियमित चलने वाले,

पाते हैं मंजिल निश्चित-कुछ बात न डर की।

धर धीर -अनुशासित -दृढ़ संकल्प शक्ति वाले,

सफल होते हर हाल-कोई जरूरत न फिकर की।


बड़ा विचित्र है विविधताओं से भरा हुआ ये सारा संसार,

कुछ हम अर्जित करते हैं-कुछ विरासत से आते संस्कार।

कमाना-खर्चना-बचाना व उड़ाना-है सबका निजी विचार,

बचाया धन कमाए धन सा -बुरे वक्त में होता है मददगार।

छोटी-छोटी सतत् की गई बचत -बन जाती है बड़ी सी एक राशि,

मितव्ययिता का सद्-संस्कार और विवेक-है सद्गुण अति खास।

बूंद -बूंद से भर जाता है घट , कुछ न हो विशेष हमको अहसास,

संग्रह कर छोटी सीखों से, भंडार हो ज्ञान हित करें सतत् अभ्यास।


संग्रह भौतिक राशि का होता है ,एक न एक दिन हर हालत में नाश,

सद्गुण और संस्कार करते हैं सहयोग-और काट देते हैं यम का पाश।

सद्गुण संग्रह अनवरत हम सब -निज मन में रखकर पूरा दृढ़ विश्वास,

आजीवन करते हम संचय रहें, तो सुखमय जीवन रहे आए गम न पास।


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