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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

शत शत नमन

शत शत नमन

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प्रिय मित्र परमेश्वर को शत शत नमन

कोरोना तूने दे दिया कैसा यह जख़्म

असमय ही मेरे मित्र को निगल गया,

तूने कर दिया बेजान मेरा यह बदन


कंकरोलिया घाटी का था, मित्र तू वासी

सुख-दुःख में था, तू सबका प्रिय साथी

पिता थे तेरे बद्रीजी, जाट थी तेरी जाति

मां, प्रेम देवी, तुम्हे देख फूली न समाती


कोरोना तूने चलाई, हम पे ऐसी लाठी

मित्र छीन लिया, बना दी उसकी माटी

प्रतिभावन शिक्षक की तोड़ दी, छाती

हमारे दिल में बनाया शूल बड़ा घाती


छीन लिया इस रुह का अनमोल धन

प्रिय मित्र परमेश्वर को शत शत नमन

शरीर का भले तुमने तोड़ दिया बंधन

पर कैसे भुलाएँगे, तुम्हारी यादे प्रियजन


अधूरे तुम बिन, तुम्हारे मित्र धीरज, नीरज

शंकर, भलेराम आदि का उजड़ा चमन

अब उनकी जिंदगी का लूट गया यौवन

खुशियां रुठी, सुख टूटा, हुई आंखे नम

प्रिय मित्र परमेश्वर को शत-शत नमन


कबड्डी के थे आप राष्ट्रीयस्तर खिलाड़ी,

पेशे से थे शारीरिक शिक्षक की तलवारी,

आपके जाने से रो रहा, हर विधार्थी मन

रो रही गलियां, रो रहा ग़ांव का हर वन


प्रिय मित्र परमेश्वर को शत शत नमन

आज प्रतिभा का एक सितारा टूट गया

आंखों से आँखों एक तारा छूट गया

छूट गया आज हमारी खुशी का नंदन


फिर भी हमको यह जिंदगी जीना तो है

जहर जिंदगी का हम सबको पीना तो है

आपकी अच्छाइयों का फैलाएंगे चंदन

आपके व्यवहार का अपनाएंगे सीधापन


बालाजी आपकी आत्मा को दे मुक्ति,

प्रिय मित्र परमेश्वर को शत शत नमन।


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