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शत नमन

शत नमन

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तुझे ना धूप रोक पाया,

ना बारिश,

ना दिन रोक पाया,

ना रात।


ना लब पे कोई शिकवा,

ना कोई फरमाइश,

कुछ है तेरे साथ,

तो बस मेरी ख्वाहिश।


ना समाज का डर,

ना पति का सहारा,

चल पड़ी तू अपना,

आशियाँ बनाने,

एक दूजे का हैं,

हम सहारा।


ना ठीक से खाती है,

ना पीती है तू,

हर एक निवाले पे,

बस नाम है मेरा।


कंधे पे है तेरी,

कितनी ज़िम्मेदारी,

आँचल में बांध मुझे,

तू लगती कितनी प्यारी।


डर ना जाऊँ,

सहम ना जाऊँ,

तू छोड़ती नहीं,

कभी अकेला मुझे।


मेरे चेहरे की,

एक मुस्कान,

कर देती है,

खुशी से पागल तुझे।


ना ईश्वर चाहिए,

ना अल्लाह,

तू मेरे साथ है "माँ",

तो ये जग निराला।


करता हूँ तेरे,

इस रूप को,

मैं शत्-शत् नमन।


प्रार्थना है मेरी,

की बंधा रहूँ,

तेरे आँचल से,

जनमो-जनम।


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