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Mitali Paik "Akshyara"

Drama Romance

2.0  

Mitali Paik "Akshyara"

Drama Romance

बस तुम

बस तुम

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आँखों की गहराई में हो तुम,

मेरे हर अलफाज़ में हो तुम,

दिल के हर धड़कन में हो तुम,

मेरे मन मंदिर में हो तुम।


इस बनावटी दुनिया में ढूँढ रही हूँ तुम्हें,

पास बिठाकर, महसूस करना चाहती हूँ तुम्हे,

पर ये संभव नहीं, क्योंकि मेरे अंतरात्मा में हो तुम।


न कोई आशा, ना कोई कामना है तुमसे,

जी भर के देख लूँ, यही आस है तुमसे,

लेकिन ये मुमकिन नहीं, पता है मुझे,

फिर भी उम्मीद का दीया जलाये ढूँढ़ती हूँ तुझे।


हर रोज़ यादों में आते हो तुम,

हम मिलेंगे ये कह के चले जाते हो तुम,

जीवन का कोई भरोसा नहीं,

कब दम तोड़ दे।


मौत के बाद क्या तुम मिलोगे,

ये तो यकीन दिला दो,

हँस के उस मौत को गले से लगाऊँगी,

और जहाँ नज़र जाए बस तुमको ही पाऊँगी,

बस तुम को ही पाऊँगी।


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