श्रीमद्भागवत - १०६ ; किम्पुरुष और भारतवर्ष का वर्णन
श्रीमद्भागवत - १०६ ; किम्पुरुष और भारतवर्ष का वर्णन
परीक्षित से शुकदेव जी कहें
राम विराजें किम्पुरुष वर्ष में
हनुमान , राम चरणों की
उपासना करें वहां भक्तिभाव से।
आषरटीषेण अन्य गंधर्वों के संग
राम की गुणगाथा गाते
हनुमान भी उसे हैं सुनते और
जाप मन्त्र का करते जाते।
ओंकारस्वरूप और पवित्रकीर्ति
श्री राम को नमस्कार है
आप में सत्पुरुषों के लक्षण
शील और आचरण विद्यमान हैं।
आप अत्यंत ब्राह्मण भक्त हैं
परमशांत अहंकारशून्य हैं
मनुष्य अवतार का कारण राक्षस वध
और मनुष्यों को शिक्षा देना है।
आप धीर पुरुषों के आत्मा
भगवान वासुदेव भी आप ही
देवता, असुर, वानर मनुष्य हों
भजन करना चाहिए आपका ही।
भारतवर्ष में श्री हरी
धारें रूप नर नारायण का
पुरुषों पर अनुग्रह करने के लिए
कल्प के अंत तक तप करें वहां।
भगवान नारद स्वयं वहां प्रजा सहित
नर नारायण की उपासना करते
उनकी स्तुति वो करते रहें
इस मन्त्र का जाप वो करके।
ओंकारस्वरूप अहंकार से रहित
नमस्कार है नर नारायण को
भक्तियोग प्रदान करो जिससे
काट सकें हम शरीर के मोह को।
राजन इस भारतवर्ष में
बहुत सी नदियां और पर्वत हैं
नाम से ही पवित्र करें जीव को
लोग इनमें स्नान करते हैं।
सात्विक, राजस, तामस कर्मों से
जन्म लेने वाले पुरुषों को
दिव्य, पुरुष और नार की क्रमशः
योनिआँ प्राप्त होतीं हैं उनको।
अपने वर्ण में स्थित किये हुए
धर्मों का अनुसरण करने से
मोक्ष पद की प्राप्ति हो जाती
इसी दिव्य भारत वर्ष में।
सम्पूर्ण भूतों की आत्मा
रागादि दोषों से रहित जो
हरि में अनन्य भक्ति भाव ही
उस मनुष्य का मोक्ष पद समझो।
यह भक्तिभाव प्राप्त हो जब
अविद्या की ग्रंथि कट जाये
और श्री हरि के प्रेमी
भक्तों का संग मिल जाये।
देवता भी महिमा गाते हैं
उत्पन्न मनुष्य की भारत वर्ष में
अहोभाग्य जिन्होंने जन्म लिया
भारत में प्रभु की सेवा में।
ऐसा क्या पुण्य किया उन्होंने कि
श्री हरी प्रसन्न हो गए उनपर
इस परम सौभाग्य के लिए
तरसते हम सब हैं निरंतर।
कठोर तप, यज्ञ, व्रतादि करके
तुच्छ स्वर्ग का अधिकार प्राप्त किया
स्वर्ग, ब्रह्मादि लोकों से भी
मनुष्य जन्म इस वर्ष में अच्छा।
यहाँ अपने इस मर्त्य शरीर में
किये हुए सम्पूर्ण कर्मों को
श्री भगवन को अर्पण करके
उनका परमपद प्राप्त कर सको।
भारतवासियों का सौभाग्य है कि
हवि प्रदान करें जब वो यज्ञ में
श्री हरि प्रसन्न होकर फिर
उस हवि को ग्रहण हैं करते।
जो भगवान की निष्काम भक्ति करे
उसको वो चरण कमल दे देते
जो अन्य सब इच्छाओं को
उस जीव की समाप्त कर देते।
कुछ पुण्य अगर बचा है
हमारे पूर्वकृत शुभ कर्मों से
भगवान से हम प्रार्थना हैं करते
मनुष्य जन्म मिले भारत वर्ष में।
शुकदेव जी कहें हे राजन
राजा सगर के पुत्रों ने
यज्ञ के घोड़ों को ढूँढ़ने
खोदा पृथ्वी को चारों और से।
उसीसे जम्बूद्वीप के अंतर्गत ही
आठ उपद्वीप और बन गए
स्वर्णप्रस्थ,चन्द्रशुक्ल, आवर्तन, रमणक,
मंदरहरिण, पंचजन्य, सिंहल और लंका ये।
