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MUKESH GOEL

Inspirational

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MUKESH GOEL

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श्रीकृष्ण उवाच!

श्रीकृष्ण उवाच!

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मैं ही सब हूँ, मैं सब में हूँ,

तुम भी मैं हूँ, मैं ही तुम हूँ,

धरती मैं हूँ, गगन मैं हूँ,

अग्नि भी मैं हूँ और पानी भी मैं हूँ,

सांस भी मैं हूँ, रवानी भी मैं हूँ,

जीव चराचर, इस धरा पर,

सबके अंदर भी मैं ही हूँ,

दोस्त भी मैं हूँ, और दुश्मन भी मैं हूँ

मैं ही देता जीवन और मौत भी मैं ही हूँ,

अर्जुन को उकसाया मैंने,

सामने तेरे बंधु-बांधव

वो भी तो मैं ही हूँ अर्जुन

इनको मारों तब भी मैं हूँ

न मारोगे तब भी मैं हूँ

स्वर्ग भी और नर्क भी मैं हूँ

सच्चाई और झूठ भी मैं हूँ

सबकी बुद्धि हूँ मैं

और स्वविवेक भी मैं ही हूँ

महाभारत का युद्ध भी मैं हूँ

मरते योद्धाओं की मौत है मुझमें

ज़िन्दा लाशों के ढेर भी मैं हूँ

विधवाओं का रुदन भी मैं हूँ

अनाथों का क्रदन भी मैं हूँ

अंबर से धरा तक मैं हूँ

सूर्य और चंद्र भी मैं हूँ

रात का काला अँधियारा हूँ मैं,

दिन का तेज उजाला भी मैं हूँ

ज़िन्दगी की गर्मी है मुझ से,

मौत की ठंडाई भी मैं हूँ

बच्चों की किलकारी में बसता,

नवयौवन की उमंग भी मैं हूँ

राधा की साँसों की धड़कन,

बाँसुरी की तान भी मैं हूँ

मैं हूँ सब का रखवाला,

सब अनाथों का नाथ भी मैं हूँ


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