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DR MANORAMA SINGH

Abstract Action Classics

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DR MANORAMA SINGH

Abstract Action Classics

शराब नीति एक अनीति

शराब नीति एक अनीति

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सुनो सरकारों, क्यों चाहिए ऐसा राजस्व,

जनता का जिसमें, जल जाता सर्वस्व,

समझ-नासमझ, पढ़े-लिखे का रह जाता नहीं भेद यहां,

 शराब एक बुराई है फिर भी तुमको भायी है,


पीड़ित हैं माता बहनें सब, बर्बाद हुए घर परिवार,

शराब पर नीति क्या हो सकती है, इससे बड़ी अनीति क्या हो सकती है,

विकराल काल जब कोरोना का था,

पर स्वार्थ चरम पर उनका था,


कोरोना से तो जीवित तुम बच पाये,

पर,मदिरा का लालच देकर,

तुम पर मृत्युजाल बिछाया था,

कोरोना से डर कर तो तुम अंदर थे,

बाहर आने का लालच तुम्हें दिखाया था,


शराब में घोटाले के साथ ही शराब क्रय-विक्रय भी जब अपराध होगा, 

होंगे कड़े कानून, व्यवस्था में तब सुधार होगा,

तब समझो मादक द्रव्यों से मुक्त समस्त भारत होगा।।


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